भुलाना होगा
सब को भूलना होगा , तुम्हे भूलने के लिये
गम कितना , गम तेरा झेलने के लिये
तेरे दिल मे हम को आंगन मिलता
तुम संग लुका-छिपी खेलने के लिये
प्रीत का झुला डाला है तोड़ो तो ना
यह जिन्दगी है तुम्हारे झूलने के लिये
इश्क और नशा दुनिया करते है अर्पण
पछतावा न होता ,होता सिर्फ झुमने के लिये
अर्पण भी बड़ा भाग्य वाला होता
तेरे ख्वाब मिलते हकीकत मे चूमने के लिये
राजीव अर्पण
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