जाहिल
वो जाहिल है ,जाहिल की बात ना कर
उसकी खातिर इतनी आहे ना भर
उस का गम है जो दिल के कोने मे
उस को निकल दे ,ऐसे ना उस के लिए मर
तेरे दिल मे उसने सुंदर घर बना लिया
तू उस घर पे फ़िदा जला के अपना घर
तू मेरा होता तो मुझ पे इल्जाम ना होता
की मै घूमता हूँ ,इस दर से उस दर
अर्पण भी हर मंजिल विजय करता
किसी पे दिलो जान से मरता ना अगर
राजीव अर्पण
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