दिल में गुलाब महके गे,
सुख की हवाए चलने दो।
होगी तन्हाई में दिल की बातें,
ना जाओ शाम अभी ढलने दो।
दिल में गुलाब.........
हाय ठोकर मत लगाना,
मेरे साथ चलते जाना।
मेरा दिल ना दुखाना,ख्वाब अभी कुछ पलने दो।
दिल में गुलाब ......
गालों पे झुल्फों की बलाए,
यह शोक्पन उसपे अदायें।
क्या कुछ तेरा सलाहें,
मुसुक्राओं दिल मचलने दो।
दिल में गुलाब .....
तुम ख़ुशी हो जो आ गयी हो
हर पहलु पे छह गयी हो,
मेरे दिल को बाह गयी हो,
ज़िन्दगी मेरी सवारने दो।
दिल में गुलाब ..........
अब हम साथ- साथ रहेंगे,
बस दिल की ही कहेंगे,
सुख-दुःख मिलके सहेंगे,
ख्वाबों में मुझे तारने दो,
दिल में गुलाब............
पंची गीत गा रहा है,
सुख का संदेसा सुना रहा है
हर फूल मुसुकुरा रहा है
खुशियों से मुझे भरने दो,
दिल में गुलाब महके गे।
अखिल वशिष्ट को समर्पित।
राजीव अर्पण।
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