Thursday, May 5, 2011

ग़ज़ल

ग़ज़ल

दर्द के साये मे रात गुजारी है ,

अपनी तो सेज ही दुखयारी है ।

जीयू तो हाय मै केसे जीयू,

हर कदम पे जिन्दगी हारी है।

ख़ुशी मै भी हस नही सकता ,

गम इस कदर दिल पे भारी है ।

तुम्हे पाने की तमन्ना ना हुई पूरी ,

तब से हर तमन्ना हमने मारी है ।

बे-इज्जत हुये हम तेरी महफ़िल मे,

तू जान से इज्जत तुम से प्यारी है ।

ना चीज-चीजो से बहलने वालो ,

अर्पण की दुनिया तुम से न्यारी है ।

राजीव अर्पण a

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