ग़ज़ल
दर्द के साये मे रात गुजारी है ,
अपनी तो सेज ही दुखयारी है ।
जीयू तो हाय मै केसे जीयू,
हर कदम पे जिन्दगी हारी है।
ख़ुशी मै भी हस नही सकता ,
गम इस कदर दिल पे भारी है ।
तुम्हे पाने की तमन्ना ना हुई पूरी ,
तब से हर तमन्ना हमने मारी है ।
बे-इज्जत हुये हम तेरी महफ़िल मे,
तू जान से इज्जत तुम से प्यारी है ।
ना चीज-चीजो से बहलने वालो ,
अर्पण की दुनिया तुम से न्यारी है ।
राजीव अर्पण a
well said
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