नजम
अपनी जिन्दगी पे हम लिखे गे नजम
सुन सके तो सुन अगर है दम
हारी है जिन्दगी दिल ने तेरे आगे
वरना किसी बात मै हम ना थे कम
सब कुछ लुटा दिया तेरी खातिर
देख फिर भी हमे जरा सा नही गम
जिन्दा है मगर ना पूछो ,जिन्दा केसे
ऊमर भर उठाए है मोंत से गम
वह जाना हमारे बस की बात नही
जहा लगाई है शाजादी ने बज्म
राजीव अर्पण
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मदहोश
हम मदहोश है कोइ संभाले
मुझे तो जीने के पड़े है लाले
बे-खबर ओर मगरूर है दुनिया
मय के भी अब अर्पण टूटे प्याले
राजीव अर्पण
TO SEE THIS YOU THINK IT IS SO MUCH EASY YES READ IT EASY BUT YOU CAN NOT DO THIS YOU THINK YOU CAN WRITE, THEN TRY I SEE HOW MUCH LINES YOU WRITE ,HOW MUCH POEM YOU WRIGHT.IT IS TOO MUCH HOW MUCH WORD YOU WRITE TRY RAJIV ARPAN
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